संघर्षो और इम्तिहानों से भरी जीवन पर प्रेरक कविता
- खुशनुमा दौर चल रहा था जिंदगी का कि मुसीबतों ने डेरा डाल सब कुछ हिला दियासबक अधूरा ही था अभी जिंदगी काऔर इम्तिहानों के दौर ने जीना सिखा दिया।
- टूटते हौसलों को संभाल रहा था मैंजब देखा न गया ज़माने सेतो हर कदम पर नया जाल बिछा दियाबदल गया नजरिया हमारा दुनियादारी कापर्दा आंखों से हमने झूठी उम्मीदों का गिरा दिया।
- उठता रहा हर बार मैं गिर-गिर करमुश्किलों की चट्टानों पर मैंने
कामयाबी का निशान बना दिया।वक्त के साथ बीत गया बुरा दौर जिंदगी काटूटे हुए अरमानों को बटोर
हमने नया मुकाम बना लिया। - बर्दाश्त न हुआ जो देखने वालों सेबर्बाद करने को मुझेहर बार नया राह बना लिया।गिराते रहे मुझे मेरे अपने ही हर बार गिरते ही मैंने हौंसला बढ़ा लिया।
- शुक्रगुजार हूं खासकर चाहने वालों का मेरेमुझे बदनाम करने की कोशिशों ने इनकीजमाने भर में “गुमनाम” मेरा नाम बना दिया।सबक अधूरा ही था अभी जिंदगी काऔर इम्तिहानों के दौर ने जीना सिखा दिया।